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Hi, Welcome to my blog, some of my mentations written in attempt to become a poet ;) Thanks for your visit !!

Sunday, July 16, 2023

आत्मंज्योती


अंधेरा उजाले कि परछाई हे
क्षीतिज ने लेहेरे छुपाई हे
बंद आखों मे जितनी गहराई हे
खोजों मन के भितर ही सच्चाई हे

जीवन समाज की देन नहीं और ना धर्म का आधार
अपनी राह खुद चुनो कर चुनौतियों को स्विकार
अनुभव और आत्म ध्यान का बल करता जब उधार 
पंखों को पाकर उडजाओ सीमाओं के पार